जय बद्री नारायण नमो नमः
श्री लक्ष्मी नारायण नमो नमः
जहा बद्री नारायण रहते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
ये मोक्ष दायनी भूमि है
ये पतित पावनि भूमि है
हम बद्री धाम के रज कण को अपने शीश पे रखते है
जहा बद्री नारायण रहते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
बद्री बन विख्यात है ये
नारायण की तपो स्थली
ऋषि मुनियो के प्राण है ये
मुक्ति भूमि तपोस्थली
नारायण की नगरी है ये
जग कल्याणी नगरी है ये
अलकनंदा धरणी नगरी
जहा पाप सभी के काटते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
ये मोक्ष दायनी भूमि है
ये पतित पावनि भूमि है
हम बद्री धाम के रज कण को अपने शीश पे रखते है
जहा बद्री नारायण रहते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
जहा बद्री नारायण रहते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
सब धामों में श्रेष्ठ है ये
नारायण की बद्रीपुरी
शोक मुक्ति की भूमि है ये
वेदो पुराणों में बद्री पूरी
तीनो लोक अन्न गिन रूप से
नर नारायण बंदरी का रूप का दर्शन करते रहते है
जहा नर नारायण रहते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
ये मोक्ष दायनी भूमि है
ये पतित पावनि भूमि है
हम बद्री धाम के रज कण को अपने शीश पे रखते है
जहा बद्री नारायण रहते है
उस भूमि को बैकुंठ कहते है
जय बद्री नारायण नमो नमः
श्री लक्ष्मी नारायण नमो नमः