सबरी तुम्हारी बाट निहारे
वो तो रामा राम पुकारे
कब आओगे मेरे राम
मैंने छोटी सी कुटिया को
पलकों से है बुहारा
पलकों से है बुहारा
सांझ सवेरे मेरे रामजी
तुम्हरा रास्ता निहारा
राहो में तुम्हारे फूल बिछाए
बैठी कबसे आस लगाए
कब आओगे मेरे राम
दर्श दिखाओगे मेरे राम
कब आओगे मेरे राम
मैंने सुना तुम्हारे चरणों ने पत्थर नारी बनायीं
पत्थर नारी बनायीं पत्थर नारी बनायीं
वही चरण मेरी कुटिया में आन धरो रघुराई
आएं धरो रघुराई आन धरो रघुराई
केवट और निषाद है तारे भाव सागर से पार उतरे
जल्दी आ जाओ मेरे राम वैसे मुझको तारो राम
कब आओगे मेरे राम कब आओगे राम