खाटू वाले का जबसे ये दर मिल गया

कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं,
खाटू वाले का जबसे ये दर मिल गया,
क्यों मैं भटकू जहाँ में इधर और उधर,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं।।

मन के मंदिर में तुझको, बिठा ही लिया,
धड़कनों में मेरी बस यही नाम है,
माला जपने की मुझको जरुरत नहीं,
सर झुकाते ही जीवन का सुख नहीं,
श्याम जैसा और कोई दाता नहीं,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं।।

चाहे मस्तक पर रोली लगे ना लगे,
इसकी ज्योति का चन्दन लगा जब लिया,
श्याम के रंग में अपने को रंग लिया,
घर में खुशियों का चमन खिल गया,
रंग चढ़ के ये तो जाता नहीं,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं।।

छोड़ दी सारी दुनियां इसी के लिए,
साथी मतलब का अब तक ना कोई मिला,
आरजू मुझको जन्नत की है ही नहीं,
जब से खाटू को देखा सकूं मिल गया,
रास्ता कोई नहीं नजर और आता नहीं,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं।।

कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं,
खाटू वाले का जबसे ये दर मिल गया,
क्यों मैं भटकू जहाँ में इधर और उधर,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
श्याम प्यारे का सच्चा ये दर मिल गया,
कोई तीरथ मेरे मन को भाता नहीं।।

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