पंख जो होती मैं उड़ जाती, नंद बाबा के द्वार,
उमड़ उमड़ मेरो जिया आवे, बहे दूध की धार,
लाल मेरो रोवत होवेगो, के भूखों सोवत होवेगो।।
मेरे पति छबड़ा में धर के, वाय गोकुल में पहुँचाय,
मेरो कुंवर गए जां दिन से, मैंने दर्शन तक ना पाए,
जाने कैसे राखत होवगी, वा रो राजकुमार,
लाल मेरो रोवत होवेगो, के भूखों सोवत होवेगो।।
कन्या लेके यशोदा की, मेरी गोदी में ला डारी,
वा कंस दुष्ट ने आय के, वो पत्थर पे दे मारी,
सूनी गोद ये मेरी हो गई, रह गई मैं मन मार,
लाल मेरो रोवत होवेगो, के भूखों सोवत होवेगो।।
ये कंस है गयो बैरी, मेरे सात पुत्र मरवाए,
लियो बदलो कौन जनम को, हम जेलन में दुःख पाएँ,
हाथ हथकड़ी पावन बेड़ी, है जेल के बंद किवाड़,
लाल मेरो रोवत होवेगो, के भूखो सोवत होवेगो।।
मैं कैसे पतों लगाऊँ, कोई ना है पास हमारे,
कोई बता दे आके, लग रहे जेल के ताले,
फाटक बंद जेल के हो रहे, ठाड़े पहरेदार,
पंख जो होती मैं उड़ जाती, नंद बाबा के द्वार,
उमड़ उमड़ मेरो जिया आवे, बहे दूध की धार,
लाल मेरो रोवत होवेगो, के भूखों सोवत होवेगो।।
Pankh Jo Hoti Main Ud Jaati Nand Baba Ke Dwar
Umad Umad Mero Jiya Bahe Doodh Ki Dhaar
Laal Mero Rowat Hovego Ke Bhookho Sowat Hovego