मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी

कबसे खड़ी कबसे खड़ी,
कबसे खड़ी कबसे खड़ी रामा कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी।।

सहने जो आके अहिल्या तारी,
मेरी क्यों प्रभु आयी ना बारी,
मेरी क्यों प्रभु आयी ना बारी।।

कबसे खड़ी कबसे खड़ी,
कबसे खड़ी कबसे खड़ी रामा कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी।।

शबरी के झूठे बेर थे खाये,
कुटिया पे मेरी अब तक ना आये,
कुटिया पे मेरी अब तक ना आये।।

कबसे खड़ी कबसे खड़ी,
कबसे खड़ी कबसे खड़ी रामा कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी।।

तुम हो प्रभु जी घाट घाट के वासी,
तन मन करे अर्पण ये दासी,
तन मन करे अर्पण ये दासी।।

कबसे खड़ी कबसे खड़ी,
कबसे खड़ी कबसे खड़ी रामा कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी।।

राह निहारी बरसो से तेरी,
पूरी हुए अब आशा ये मेरी,
पूरी हुए अब आशा ये मेरी।।

कबसे खड़ी कबसे खड़ी,
कबसे खड़ी कबसे खड़ी रामा कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी,
मैं चित्रकूट के घाट पे कबसे खड़ी।।

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