रखलेना तुम रख सकते हो मेरे श्याम,
रखलेना तुम रख सकते हो,
हम निर्धन से पर्दा,
मोहन छवि प्यारी का,
दर्श करू मन करता ।।
श्याम रूप तेरा मन को भये,
देखू न तो चैन न आये,
अधरों पर मुरली रखकर,
जो रास कानो में भरदा,
मोहन छवि प्यारी का,
दर्श करू मन करता ।।
नैना तेरे है मतवारे,
कानो में है कुण्डल डाले,
सारी सृष्टि का तू पालन है करता,
मोहन छवि प्यारी का,
दर्श करू मन करता ।।
माहि कहे तो दर पे आये,
सूरत देखता ही रह जाए,
नजर तुझे ना लग जाए रे,
विक्रम का मन डरता ।।
मोहन छवि प्यारी का,
दर्श करू मन करता ।।