मुझको सम्भालो ना कन्हैया मुझको सम्भालों ना
के जन्मों से प्यासा हूँ मैंमुझको अपना लो ना।।
तर्ज – हुस्न पहाड़ों का
तुझको ही पूजूँ तुझको ही चाहूँ
तुझसा ना कोई कहाँ और जाऊँ
जी चाहता दर पे जीवन बिताऊँ
जी चाहता दर पे जीवन बिताऊँ
सेवा में लगा लो ना कन्हैया
सेवा में लगा लो ना
के जन्मों से प्यासा हूँ मैं
मुझको अपना लो ना।।
दर्शन दे दो ओ श्याम प्यारे
शरण तुम्हारी हारे के सहारे
तुझ बिन कौन भव से पार उतारे
तुझ बिन कौन भव से पार उतारे
दुखो से उबारो ना कन्हैया
दुखो से उबारो ना
के जन्मों से प्यासा हूँ मैं
मुझको अपना लो ना।।
रूबी रिधम को अकेला ना छोड़ो
बड़ी आस लाया यूँ मुँह ना मोड़ो
प्रेम के तारों को ऐसे ना तोड़ो
प्रेम के तारों को ऐसे ना तोड़ो
रिश्ता निभा लो ना कन्हैया
रिश्ता निभा लो ना
के जन्मों से प्यासा हूँ मैं
मुझको अपना लो ना।।
मुझको सम्भालो ना कन्हैया
मुझको सम्भालों ना
के जन्मों से प्यासा हूँ मैं
मुझको अपना लो ना।।