पार्वती बोली शंकर से सुनियो भोले नाथ जी

पार्वती बोली शंकर से सुनियो भोले नाथ जी,
रहना है हर एक जनम में तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजियो ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी,
ओ भोले नाथ जी ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोले नाथ जी ओ शम्भू नाथ जी।।

जैसे मस्तक पे चंदा है गंगा बसी जटाओ में
वैसे रखना हे अविनासी मुझे प्रेम की छाओ में
कोई नहीं तुमसा दसो दिशाओ खुली हवाओ में
पहले से ज्यादा ज्यादा सुख मिलता आकर खुली हवाओ में
तुम हो जहाँ वह होती है अमृत की बरसात जी
तुम हो जहाँ वह होती है अमृत की बरसात जी।।

रहना है हर एक जनम में तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजियो ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी,
ओ भोले नाथ जी ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोले नाथ जी ओ शम्भू नाथ जी।।

पार्वती बोली शंकर से सुनियो भोले नाथ जी,
रहना है हर एक जनम में तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजियो ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी,
ओ भोले नाथ जी ओ शम्भू नाथ जी
ओ भोले नाथ जी ओ शम्भू नाथ जी।।

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