राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति

राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति,
भजन बिना तेरी कैसी होगी भक्ति।।

जब बंदे तूने जन्म लिया था,
पढ़े क्यूँ ना वेद, लिखी क्यूँ ना तख्ती,
राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति।।

जब बंदे तुझपे आई जवानी,
खेला, उछला खूब बजाई तूने सीटी,
राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति।।

जब बंदे तुझपे आया बुढ़ापा,
रोया घुटने टेक, जवानी तेरी मिट गई,
राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति।।

आई जब रेल स्टेशन पर रुक गई,
तू सोया चादर तान, टिकट तेरी कट गई,
राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति।।

धर्मराज तेरा लेखा माँगे,
बताए कौन सी बात, कहानी सारी रुक गई,
राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति।।

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