
शंकर का डमरू बाजे रे,
कैलाशपति शिव नाचे रे,
शंकर का डमरू बाजे रे।।
जटा जूट में नाचे गंगा,
शिव मस्तक पे नाचे चंदा,
नाचे वासुकी नीलकंठ पर,
नागेश्वर गल साजे रे,
शंकर का डमरू बाजे रे।।
शीश मुकुट सोहे अति ही सुंदर,
नाच रहे कानों में कुंडल,
कंगन नूपर चरम ओडनी,
भस्म दिगंबर साजे ये,
शंकर का डमरू बाजे रे।।
कर त्रिशूल कमंडल साजे,
धनुष बाण कंधे पर नाचे,
बजे ”मधुप” मृदंग ढोल ढप,
शंख नगाड़ा बाजे रे,
शंकर का डमरू बाजे रे।।