विष्णु गुरु और गुरु है महेश,
सारे देवी देव संग,
पूजा करते है गणेश।।
शिव शंकर देवाधि देव, भोले नाथ महान,
यज्ञ अनुष्ठानो के जो कहलाते है प्राण,
तो बोलो भोले शंकर जय,
तो बोलो महामृत्युंजय जय,
ॐ नमः शिवाये बोलो ॐ नमः शिवाये,
ॐ नमः शिवाये बोलो ॐ नमः शिवाये ।।
जिनकी जटाओ से माँ गंगे,
जिनकी जटाओ से माँ गंगे,
है जगत को तारती,
तभी तो भक्तो उतारते,
तभी तो भक्तो उतारते,
संग शिवजी की आरती,
है ये जाता धरी त्रिपुरारी,
भक्त धरे जिन्हे ध्यान।।
यज्ञ अनुष्ठानो के जो कहलाते है प्राण,
तो बोलो भोले शंकर जय,
तो बोलो महामृत्युंजय जय,
ॐ नमः शिवाये बोलो ॐ नमः शिवाये,
ॐ नमः शिवाये बोलो ॐ नमः शिवाये।।
विश्वनाथ कैलाशी का ही,
ध्यान लगते राम,
चारो प्रहार आठों प्रहर,
जिन्हे करते है प्रणाम,
शिव की महिमा से जगत,
में कौन है भला अनजान ।।
यज्ञ अनुष्ठानो के जो कहलाते है प्राण,
तो बोलो भोले शंकर जय,
तो बोलो महामृत्युंजय जय,
ॐ नमः शिवाये बोलो ॐ नमः शिवाये,
ॐ नमः शिवाये बोलो ॐ नमः शिवाये।।