सुनता है तू सबकी क्यों अब तू विचारे है

सुनता है तू सबकी क्यों अब तू विचारे है,
मेरी भी सुनेगा तू ये कहते सारे है,
सुनता है तू सबकी क्यों अब तू विचारे है।।

मुदत से जीवन में छाया क्यों अँधेरा है,
मुझको तो लगता है जीवन का फेरा है,
ना दर के सिवा तेरे कही हाथ पसारे है,
सुनता है तू सबकी क्यों अब तू विचारे है।।

माना की हाथो में किस्मत की नहीं रेखा,
जो बीत रही मुझपे क्या तूने नहीं देखा,
हर बिगड़ी किस्मत को तू ही तो सवारे है
सुनता है तू सबकी क्यों अब तू विचारे है ।।

पापी भी कपटी भी यह मौजा में रहते है ,
तेरे भक्त कई बाबा गम पल पल सहते है,
ना समज सके जालं जो खेल तुम्हारे है,
सुनता है तू सबकी क्यों अब तू विचारे है।।

Sunta Hai Tu Sabki Kyo Ab Tu Vichare Hai
Meri Bhi Sunega Tu Ye Kehte Saare Hai

Muddat Se Jeevan Mein Chhaya Kyo Andhera Hai
Mujhko To Lagta Hai Jeevan Ka Fera Hai

Na Dar Ke Siva Tere Kahi Hath Pasare Hai
Sunta Hai Tu Sabki Kyo Ab Tu Vichare Hai

Mana Ki Hatho Mein Kishmat Ki Nahi Rekha
Jo Beet Rahi Mujhpe Kya Tune Nahi Dekha

Har Bigadi Kishmat Ko Tu Hi To Sanware Hai
Sunta Hai Tu Sabki Kyo Ab Tu Vichare Hai

Paapi Bhi Kapti Bhi Yaha Mauj Mein Rehte Hai
Tere Bhakt Kayi Baba Gam Pal Pal Sehte Hai

Naa Samajh Sake Jalan Jo Khel Tumhare Hai
Sunta Hai Tu Sabki Kyo Ab Tu Vichare Hai

Leave a Comment