फिरसे वही महका सा आंगन हो
सन्नाटा ही सन्नाटा है गलियों में है तन्हाईसन्नाटा ही सन्नाटा है गलियों में है तन्हाई शहरों को छोड़ छाड़ केआज गाँव की याद है आयीशहरों को छोड़ छाड़ केआज गाँव की याद है आई फिरसे वही महका सा आंगन होजब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाएजब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए अपने … Read more