लाखो चाँद खिले हो जैसे मुख है
लाखो चाँद खिले हो जैसे मुख है Laakho Chand Khile Ho Jaise Mukh Hai लाखो चाँद खिले हो जैसेमुख है तुम्हरा शीतल ऐसे जाऊ मैं बलिहारी,हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी, मिश्री जैसी मीठी बोली बाते प्यारी प्यारी,हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी, Trending Jain Bhajan जैन धर्म हमे … Read more