चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार

चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगारतन में भस्म रामा होके नंदी पे सावरी उल्झे लम्बे काले खोले ये जटायेशिव भोले जटा धारी अधबुत सा रूप बनायाकहने वाघम्बर को फिर त्रिशूल में डमरू लगायेपीकर भंग का प्यारा है अंखिया चढ़ेबिस्तर काले नागो का कहने गले में हारी चले ब्या रचने रे करके भोला श्रृंगारतन में … Read more