जो भजे हरि को सदा सोही परम पद पावेगा

जो भजे हरि को सदा सोही परम पद पावेगा देह के माला, तिलक और छाप, नहीं किस काम के,प्रेम भक्ति बिना नहीं नाथ के मन भावे दिल के दर्पण को सफा कर, दूर कर अभिमान को,ख़ाक को गुरु के कदम की, तो प्रभु मिल जायेगा छोड़ दुनिए के मज़े सब, बैठ कर एकांत में,ध्यान धर … Read more