वृन्दावन की इन कुंज गलिन में
वृन्दावन की इन कुंज गलिन में,खुशबु बिहारी जी की आती है,मन में समा के मुझे मदहोश बना के,दर पे बिहारी के ले जाती है, एसी सुगंध छाई है चहू ओरी,रसिको को खीच लेती बाँध प्रेम डोरी,जग को बुलाये मेहक ये दिल में समाये,प्रेमियों के मन को ये बाहती है रहता न ये दिल अब उदास … Read more