ज्योत जली दुनीयाँ भर में,
तेरी ज्योत जली दुनीयाँ भर में,
मोरे खाटू जी सरकार,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में।।
शीश को है तू दानी,
सारी दुनीयाँ ने मानी,
थे तो तीन बाण हो धारी,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में,
मोरे खाटू जी सरकार,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में।।
फागुन को है यो महीनों,
बाबा को लाग्यो है मेलो,
सारे भर भर खेले गुलाल,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में,
मोरे खाटू जी सरकार,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में।।
कोई लावे नीलो पीलो,
कोई लावे रंग गुलाबी,
थारे केसरिया है लगावे,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में,
मोरे खाटू जी सरकार,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में।।
सबकी बाबा सुनता,
थे सबकी लाज बजाता,
केशव आयो थारे द्वार,
म्हे आया थारे द्वार,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में,
मोरे खाटू जी सरकार,
थारी ज्योत जली दुनीयाँ भर में।।