
हे भोले बाबा त्रिलोक के देवा
तन मैं तू शिवा मन मैं भी शिव
हे भोले बाबा त्रिलोक के देवा
तन मैं तू शिवा मन मैं भी शिव।।
यज्ञ स्वरूप जटा धरे
पिनाक हस्ते संतानाय
डम डम डमरू धारी त्रिपुरारी।।
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले,
गलेअवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं,
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ।।
हे दिगंबर कैलाश पति
जपते निरंतर तेरे ही स्तुति
हे बिरुपक्ष मंगल मूर्ति
आदि नाथ शंभु भरदे शांति।।
श्री नीलकंठय वृषध्वजय
तस्मई शि कराय नमः शिवाय
डम डम डमरू धारी त्रिपुरारी।।
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर,
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि,
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि।।
जय महाकाल विष्णु बलव
सदा करुँ मैं तेरा करम
जय ललत्क्ष चारु बिक्रम
करदे रे दूर तू सबका भरम।।
चंद्रारका वैश्वनार लोचनय
तस्माई व कराय नमः शिवायः
डम डम डमरू धारी त्रिपुरारी।।
कराला भाला पट्टिकाधग द्धागा द्धागज्जवाला,
धनंजय हुतिक्रूत प्रचंडपजनचासायके ।
धरधरेंद्र नंदिनी कुचाग्राचित्र पत्रक,
प्रकल्पनई काशिल्पी त्रिलोचन रतिर्ममा।।