कलयुग रो इक धनी है चर्चा या जोर घनी है

कलयुग रो इक धनी है चर्चा या जोर घनी है
सब बोले जय श्री श्याम जी
ओ बाबा सगला पुकारे थारो नाम जी

साल सवाई जाता हर महिना जावे हो
मनडो ललचावे तब ही खाटू जा आवे
जादू सो सब पे छयाओ
से को हियो भरमायो
धुन सेके लागी सुबहो शाम की
ओ बाबा सगला पुकारे थारो नाम जी

कितरा निशान चढ़ गया गूंजे जय कारा
खीर और चूरमे का भोग घनेरा हो
सूतयोडा भाग जगा है
तब से ही उमड़ रिहा है
से का ही बिगडेया बन गया काम जी
ओ बाबा सगला पुकारे थारो नाम जी

कितरा ही भागा पेहने श्याम सजे है
सोना चांदी और रुपया खूब चड़े है हो खूब चड़े है
सगला ही धोक लगा रहा रवि कहवे आशीष पा रेहा
धन धन तू आओ खाटू धाम जी
ओ बाबा सगला पुकारे थारो नाम जी

कलयुग रो इक धनी है चर्चा या जोर घनी है
सब बोले जय श्री श्याम जी
ओ बाबा सगला पुकारे थारो नाम जी

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