
चढ़ने लगा है श्याम का सुरूर
दर्शन को दिल हुआ मजबूर
खाटू चलिए चल खाटू चलिए
शीश के दानी बड़ा मशहूर
हम पे करेंगे कृपा ज़रूर
खाटू चलिए चल खाटू चलिए
अधूरा रहूं तुम बिन सांवरे
संवर जाऊं दर पर जब आऊं रे
ये जीवन लाम्बिया लाम्बिया रे
कटे तेरे संगिया संगिया रे
बाज रहा कलयुग में डंका श्याम की रेहमत का
दान सभी को मिल जाता है अपनी ज़रूरत का
खाली ना होते उसके ख़ज़ाने
भक्तों की आँखों में मन की बात जाने
साथी हो हमारे तुम सांवरे
अर्ज़ी यही मैं दोहराऊं रे
ये जीवन लाम्बिया लाम्बिया रे
कटे तेरे संगिया संगिया रे
चमका दो मैं भी हूँ तेरे आँगन का तारा
सौंप दिया तुझको भी मैंने ये जीवन सारा
तुमसे गुज़ारा मेरा तीन बाण धारी
तुमसे ना जीत पाए ग़म की अंधियारी
इतना मैं तुझ में खो जाऊं रे
सब भूल कर बस ये ही गाउँ रे
ये जीवन लाम्बिया लाम्बिया रे
कटे तेरे संगिया संगिया रे
चढ़ने लगा है श्याम का सुरूर …………..