मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला हम क्या करे
तुम्ही से है मेरी दुनिया दम क्या भरे
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला हम क्या करे।।
न्योछावर करदु ये दौलत मगर वो दी तुम्हारी है
लुटा दू जान अपनी भी मगर वो भी तुम्हारी है
ज़माने में जिधर देखु उधर तू ही नज़र आये
तुम्ही बतलाऊ ऐ दाती की हम अब क्या करे
तुम्ही से है मेरी दुनिया दम क्या भरे
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला हम क्या करे।।
चड़ाउ फूल तुमको तो गुलशन भी तुम्हारा है
खिलाओ मेवा मिश्री तो सकल जग ही तुम्हारा है
जमी आकाश शशि तारे सभी में वास तुम्हारा है
समझ में कुछ आता नहीं माँ क्या करे
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला क्या करे
तुम्ही से है मेरी दुनिया दम क्या भरे
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला हम क्या करे।।
करूँ मैं सेवा चरणों की यही उम्मीद लाया हूँ
बुझा दो प्यास नैनो की तेरे दरबार आया हूँ
भरो झोली मेरी भी माँ यही फ़रियाद लाया हूँ
विजय शिव की करदो खता और क्या करे
तुम्ही से है मेरी दुनिया दम क्या भरे
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला हम क्या करे।।
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला क्या करे
तुम्ही से है मेरी दुनिया दम क्या भरे
मेरी मैया तुम्हे अर्पण भला हम क्या करे।।