नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे

नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तो सज गयो रे
आज भोला मेरा फूलों से सज गयो रे।।

भोले की जटा मैं गंगा विराजे,
गंगा से अमृत बरस गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तो सज गयो रे
आज भोला मेरा फूलों से सज गयो रे।।

भोले के गले मैं मुंडो की माला,
गले में सर्प लिपट गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तो सज गयो रे
आज भोला फूलों से सज गयो रे।।

भोले के हाथों मैं त्रिशूल विराजे,
त्रिशूल में डमरू लटक गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तो सज गयो रे
आज भोला फूलों से सज गयो रे।।

भोले के संग मैं गौरा विराजे,
गोदी मैं गणपति बैठ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तो सज गयो रे
आज भोला मेरा फूलों से सज गयो रे।।

इन शिव भजनो को भी सुने –

Leave a Comment