
श्याम थापे केसर छिड़का जी,
बाबा जी थापे केसर छिड़का जी,
बनड़ा सा लगो आज साँवरा थाने निरखा जी,
श्याम थापे केसर छिड़का जी।।
काना कुण्डल सोहे थारे गल वैजन्ती हार,
नैन निगोड़ा, सेठ सँवारा थापे पे अटक्या जी,
श्याम थापे केसर छिड़का जी ।।
थाने बिठाकर लिलो चले तिरछी तिरछी चाल,
उछल उछल कर नाँचे मारे जोर का ठुमका जी,
श्याम थापे केसर छिड़का जी ।।
बाँकी अदा सूं थे इतरावो होठां पर मुस्कान,
रूप सलौने देख श्याम थारो सेवक भटक्या जी,
श्याम थापे केसर छिड़का जी ।।
हर्ष भगत थारा लाड लड़ावे छिड़के इतर फुहार,
सगळा मिलकर आज करां फुला की बरखाजी,
श्याम थापे केसर छिड़काजी ।।
बाबा जी थापे केसर छिड़का जी
बनड़ा सा लगो आज साँवरा थाने निरखा जी,
श्याम थापे केसर छिड़का जी ।।