मत सोच मुसाफिर रे राम करे सो होवे

कबीरा गंदी देह का कोई भरोसा नएकाल जो बैठा मांड पे आज मसाना माई मत सोच मुसाफिर रे राम करे सो होवेकोई सोव सुख नीडा कोई झूर झुर रोव मत सोच मुसाफिर रे राम करे सो होवेकोई सोव सुख नीडा कोई झूर झुर रोव धर्मी कर्मी नेमी धेमी तू बद भागी भारीमहल मालिया बाग बागीचो … Read more