बाहे फैलाकर बाबा अपने गले लगता है
गिरने को जब होता मेरा श्याम उठता हैबाहे फैलाकर बाबा अपने गले लगता है।। आँखो के आंशु तो मेरा श्याम मिटाता हैबाहे फैलाकर बाबा अपने गले लगता है।। जब कोई संकट सिर पे मड़रातानीले चाड ये दौड़ा है आतापल भर की भी ये ना दर ना करता।। हर मुश्किल से मुझकोमेरा श्याम बचाता हैबाहे फैलाकर … Read more