यो नटवर नंद का लाल मेरे मन बस गयो रे

यो नटवर नंद का लाल
मेरे मन बस गयो रे,
घायल की गत घायल जाने,
मैं जाऊँगी यमुना किनारे,
जहां रास रचावे नंद लाल,
मेरे मन बस गयो रे।।

जब बाजे मेरी श्याम की मुरलिया,
छम छम नाचूँ मैं बांध के घुँघरिया,
उठ रहीमन में झंकार,
मेरे मन बस गयो रे।।

जग मस्तानी मुझे कहने लग है,
नीर मेरे मन से बहने लगा है,
कौन जाने मेरे दिल का हाल,
मेरे मन बस गयो रे।।

मन मोहन मेरा श्याम सलोना,
कभी खेले कभी बने खिलौना,
मोह लिया सारा संसार,
मेरे मन बस गयो रे।।

यो नटवर नंद का लाल
मेरे मन बस गयो रे।।

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