भटका हु मुझको भी दर पे बुला ले
अपना बना ले के मेरा यहाँ कोई नही
तेरे सिवा श्मेयाम मुझे कौन सम्बाले
अपना बना ले के मेरा यहाँ कोई नही
खाई है मैंने बहुत जग में ठोकर
बालक पुकारे श्याम तुम्हे रो रो कर
गम एक बादल छाए घने काले
के अपना बना ले के मेरा यहाँ कोई नही
कलयुग में कोई तुमसा न है दाता
हारे का तू ही तो साथी केहलाता है
भगतो की विपदा को तू ही तो टाले अपना बना ले
के मेरा यहाँ कोई नही
भीम सेन बोले कहा श्याम जाए
तुम न सुनोगे तो किस को सुनाये
कहे अंजना जीवन तेरे हवाले अपना बना ले
के मेरा यहाँ कोई नही