मन में उठे हिलारो ये ग्यारस चानन की आ गई
सारो गुण वो खाटू आयो मैं सागे आ गई
श्यामधनि का दर्शन करके रोवे गा दुखडो
बडे म्हारे मन भा गयो वो सजीलो मुखड़ो
सगळा मेला घूम लई महारा मनडो को नही लागे
स्टेशन वाली मोटी मोटी बर्फी फीके लागे
म्हारे बींध के सागे म्हारो माचो झगडो
बडे म्हारे मन भा गयो वो सजीलो मुखड़ो
अरे आखडली ने श्याम की सूरत नींदडल लीना आवे
सोनू लखा श्याम धनि की रुक रुक ओल्यु आवे
मने भन्ना सा समजावे जी काई को रगडो
बडे म्हारे मन भा गयो वो सजीलो मुखड़ो