तुम जो अंगना पधारे मज़ा आगेया
ना ही चिट्ठी ना तार होके मूषक सवारतुम जो अंगना पधारे मज़ा आगेया।। बरसो तरसे नयन करते करते जतनतुम जो अंगना पधारे मज़ा आ गया।। ना ही चिट्ठी ना तार होके मूषक सवारतुम जो अंगना पधारे मज़ा आगेया।। लखो भक्तो की बिगड़ी बनाते हो तुमभरदो झोली हमारी भी तरसे ये मान।। तुम ज्योति प्रकाश जिद्दी … Read more