दुनिया चलती उसके साथ ऐसा खेल है खिलाता मेरा नाथ जी
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ गले में जिसके नाग,सर पे गंगे का निवास,जो नाथों का है नाथ भोलेनाथ जी,करता पापों का विनाश,कैलाश पे निवास,डमरू वाला वो सन्यास भोलेनाथजी,जो फिरता मारा मारा,उसको देता वो सहारा,तीनो लोक का वो स्वामी भोलेनाथ जी,रख दे सर पे जिसके हाथ,दुनिया चलती उसके साथ,ऐसा खेल है खिलाता मेरा … Read more