धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं

धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं


Dhanwano Ka Maan Hai Jag Me Nirdhan Ka Koi Maan Nahi

धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं
ऐ मेरे मालिक मुझे बता दे निर्धन क्या इंसान नहीं
धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं।।

कोई तो खाता दूध मलाई कोई तो सूखी रोटी है
कोई ओढ़े शाल दुशाला कोई तो फटी लंगोटी है

तू ही पिता है सब का मालिक एक ही क्यों संतान नहीं
धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं।।

धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं
ऐ मेरे मालिक मुझे बता दे बिना धन के इंसान नहीं
धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं।।

बड़े भी तुमने बनाये है मालिक छोटे भी तुमने बनाये है
बड़े भी तुमने बनाये है मालिक छोटे भी तुमने बनाये है
बड़ो का जीवन सुख में बीता छोटो ने नीर बहाये है
कौन है ऐसा इस दुनिया में ओ
कौन है ऐसा इस दुनिया में जो जगा संग नहीं।।

धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं
ऐ मेरे मालिक मुझे बता दे बिना धन के इंसान नहीं
धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं।।

Dhanwano Ka Maan Hai Jag Me Nirdhan Ka Koi Maan Nahi

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