
मैं कब बना संसारी मुझे होश ना था
Main Kab Bana Sansaari Mujhe Hosh Na Tha
मैं कब बना संसारी मुझे होश ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था।।
जैसा मुझे ज्ञात हुआ मन उलझाया है,
माया ने कैसा कैसा रंग दिखाया है,
परम पिता का कभी ध्यान न लगाया,
माया में लुभाया कभी नाम नहीं गया है,
मैं वादा सारा भूला मुझे होश ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था।।
मैं कब बना संसारी मुझे होश ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था।।
ज्ञात नहीं था दर्द गर्भ में आने का,
याद नहीं रहा कुछ कष्ट उठाने का,
कितना आभारी था मैं ये तन पाने का,
मौका मिला न मुझे भगवन मानाने का,
मैंने पा लिया चादिरिया मुझे होश ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था।।
मैं कब बना संसारी मुझे होश ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था,
मेरा निर्मल निर्मल मन था कोई दोष ना था।।
Main Kab Bana Sansaari Mujhe Hosh Na Tha
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