नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी
जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनियाँ सारी
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी
निराकार कोई कहता है कोई कुछ कुछ रूप बताए
कोई कहे हो भेष बदलकर धरती पर आ जाए
कोई कहे वो कण कण में है पर वो नजर ना आये
वो वह अनदेखा एक पहेली ना सुलझायी जाए
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी
जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनियाँ सारी
सुनते हैं उसकी आंखें हैं सूरज चांद सितारे
कबकब हम करते हैं क्याक्या पल पल हमें निहारे
मछली को क्या लेना जो उथले सागर के धारे
उस शक्ति की भक्ति कर ले ओ बंदे मतवारे
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी
जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनिया सारी
कहते हैं जिसने बनाए धरती गगन समंदर
और सबको जो नाच नचाये है इक छुपा कलंदर
वो मालिक छुप कर बैठा है हर इंसान के अंदर
प्रेम भाव से सबसे मिलना इस दुनिया में सिकंदर
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी
जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनिया सारी