मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया
मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया,मैंने मानुष जनम तुझको हीरा दिया,तूने व्यर्थ गँवाया तो मैं क्या करूँ।देर ना हो जाए, सुनों देर ना हो जाए।। मैंने सुंदर सुद्ध मन जगत को दिया,फिर भी निंदा ही भाए तो मैं क्या करूँ,सबसे मिलना ही रहना मेरा रूप हैतुझको दूरी ही भाए तो मैं क्या करूँ,देर ना हो … Read more