कुछ कर्म जगत में कर ऐसे

कुछ कर्म जगत में कर ऐसे

Kuchh Karma Jagat Me Kar Aese

कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें,
तू हसे ये जग रोये पगले,
जब सफर ये ख़तम हो जाए,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें॥

पैसा पैसा तूने जोड़ा यहाँ,
मन का तूने चैन भी खोया है,
जब काम न आये अंत समय.
बेकार ये सारी माया है,
प्रभु भक्ति में इस मन को लगा,
शायद भगवान मिल जाये,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे।।

तन को तूने धोया मल मल कर,
मन को तू साफ न कर पाया,
गया गँगा नहाने को जब भी,
संग पाप की गठरी ले आया,
मुख से जो तू बोले हरि हरि,
भव सागर पल में तर जाये,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे।।

ये जीवन एक छलावा है,
कभी दुःख तो कभी सुख आना है,
चाहे रात हो काली अंधियारी,
एक दिन तो सवेरा आना है,
अपनी मंजिल को वो पाता,
जो सतमार्ग जो अपनाये,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे।।

Kuchh Karma Jagat Me Kar Aese

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