पैदा होती है नारी पति के लिए

पैदा होती है नारी पति के लिए

Paida Hoti Hai Naari Pati Ke Liye

सीख अनसूया सीता को देने लगी,
पैदा होती है नारी पति के लिए।।

प्रथम नारी तो वह है सुनो जानकी,
सपने में भी पराया पति ना तके,
जो समझती हैं पति को ही विष्णु महेश,
स्वर्ग समझो वही नारी के लिए,
सीख अनसूया सीता को देने लगी।।

मध्यम नारी तो वह है सुनो जानकी,
भाई बेटा समझकर निहारा करें,
धर्म नारी का जग में समझती रहे,
दीप जलता रहे रोशनी के लिए,
सीख अनसूया सीता को देने लगी।।

नीच नारी की अब तुम कहानी सुनो,
पति के होते हुए पर पुरुष को तके,
उसकी कीमत है वेश्या से कुछ कम नहीं,
वेद कहते यही नारी के लिए,
सीख अनसूया सीता को देने लगी।।

धर्म लाखों करें पर नर्क में पड़े,
भरी जवानी में विधवा व होती रहे,
तुम तो प्यारी हो सीता श्री राम की,
यह कहानी है जग नारियों के लिए,
सीख अनसूया सीता को देने लगी।।

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