
कायर सके ना झेल फकीरी,
कायर सके ना झेल, फ़कीरी,
अलबेला रो खेल, फ़कीरी,
फकीरी अलबेला को खेल।
अलबेला रो खेल फ़कीरी,
कायर सके ना झेल फकीरी।।
ज्यूँ रण माहीं लड़े नर सूरा,
अणियाँ झुक रहना सैल,
गोली नाल जुजरबा चालै,
सनमुख लेवै झेल,
अलबेला रो खेल फ़कीरी,
सती पति संग नीसरी है,
अपने पिया के गैल,
सुरत लगी अपने साहिब से,
अग्नि काया बिच मेल,
अलबेला रा खेल फ़कीरी।।
अलल पंछी ज्यूँ उलटा चाले,
बाँस भरत नट खेल,
मेरु इक्कीस छेद गढ़ बंका,
चढ़गी अगम के महल,
अलबेला रो खेल फ़कीरी।।
दो और एक रवे नहीं दूजा,
आप आप को खेल,
कहे सामर्थ कोई असल पिछाणै,
लेवै गरीबी झेल,
अलबेला रो खेल फ़कीरी।।
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