
राम का नाम कल्याण है और राम का नाम कल्याण,
जिण घर हरी कथा हुए भई वो घर सदा ही कल्याण।
किसको कहूँ भजन की बाताँ लोग भरम में भुला हो,
किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला रे भाई,
सुख सागर हरी नाम छोड़ कर दुःख सागर ने झूला ओ।।
पांच तत्व गुण तीन कहियो काया का इस भुलाओ,
दस नगर गुप्त या ताला नौ दरवाजा खुलवाओ,
किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला रे भाई,
सुख सागर हरी नाम छोड़ कर दुःख सागर ने झूला ओ।।
झूठा खेल रच्या दुनियाँ में जैसे दुली दुलावो,
पल में उपजे पल में बिकजे पानी का बुलबुला हो,
किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला रे भाई,
सुख सागर हरी नाम छोड़ कर दुःख सागर ने झूला ओ।
नुगरा पापी जीव जगत में आंधा पांगला लूला ओ,
दया धरम जिनके घट में नाही ज्याणा जीना गुनाह हो,
किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला रे भाई,
सुख सागर हरी नाम छोड़ कर दुःख सागर ने झूला ओ।।
काल चक्र में देवी देवता काजी पंडित मुलावो,
लाधू नाथ आत्मा खोजी ज्यारा मार्ग खुला ओ,
किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला रे भाई,
सुख सागर हरी नाम छोड़ कर दुःख सागर ने झूला ओ।।
इन राजस्थानी भजन को भी देखे –
- पग पग पोरो पाप रो कलयुग में क्युं तड़पावो
- हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना
- डाली कर जोड़ सुनावे निज सतगुरु ने समझावे
- काया ने सिंगार कोयलिया पर मंडली मत ज्याजे रै
- पंछीड़ा लाल आछी पढ़ियो रे उलटी पाटी
- ढोलर बाज्यों रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी
- किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला हो
- अंजनी का रे लाल आछी रे सरजीवण बूटी लायो
- हे भगवान तेरी माया का पार कोई ना पाया है
- सारो संसार दुःखी है सुखी कौन है सुनो
- बिना काम बारे मत निकलो
- थोड़ा दिना तक घर पर ही आराम करलो