
लकड़ी जल कोयला भई ने कोयला जल भई राख
मै विरहन ऐसी जली न कोयला भई न राख।।
मै क्या करूँ सखी मै क्या करूँ
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ
बंशीवालो जादू कर गयो मै क्या करू
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ।।
सिर की टिलडी ओर काजलडी बाजुबंध नगीना
आँखीया री कस टूटन लागी आवत अंग पसीना
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ।।
भर गागर सागर से निकसी सूरज अरख मोहे दिना
वृंदावन की कुंज गलीया मे आवत श्याम सलोना
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ।।
मेडतो छोड उदयपुर छोड्यो छोड़ दिया जग सारा
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर अपने रंग में रंग डाला
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ
मै क्या करूँ सखी मै क्या करूँ
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ
बंशीवालो जादू कर गयो मै क्या करू
सांवरियो जादू कर गयो मै क्या करूँ।।
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